दशवैकालिक सूत्र 7/8
|| जमट्ठं तु न जाणेज्जा, एवमेयंति नो वए || जिसके विषय में पूरी जानकारी न हो, उसके विषय में ‘यह ऐसा ही है’ ऐसी बात न कहें जिस…
|| जमट्ठं तु न जाणेज्जा, एवमेयंति नो वए || जिसके विषय में पूरी जानकारी न हो, उसके विषय में ‘यह ऐसा ही है’ ऐसी बात न कहें जिस…
कङ्खे गुणे जाव सरीरभेऊ जब तक शरीरभंग (मृत्यु) न हो तब तक गुणाकांक्षा रहनी चाहिये जब तक शरीर नष्ट नहीं हो जाता अर्थात् मृत्यु नहीं हो जाती, तब तक…
।। सीहो व सद्देण न संतसेज्जा ।। सिंह के समान निर्भीक; केवल शब्दों से न डरिये सिंह कितना निर्भय होता है! हाथी की चिंघाड़ से भी वह नहीं…