श्रीसिद्धचक्र-नवपद की आराधना किसलिए ?
यस्य प्रभावाद् विजयो जगत्यां, सप्ताङ्गराज्ये भुवि भूरिभाग्यम् । परत्र देवेन्द्रनरेन्द्रता स्यात्, तत् सिद्धचक्र विदधातु सिद्धिम् ।।१।। अर्थ-जिसके प्रभाव से इस लोक में विजय तथा पृथ्वी पर पुण्य की पराकाष्ठारूप सप्तांग…
नवपद आराधना
जैन शासन में श्री नवपद जी की आराधना के लिए वर्ष में दो समय बताये गये हैं—१. आसोज मास और २. चैत्र मास । पहला आश्विन शुक्ला सप्तमी से आश्विन …